मेरे बड़े --
Sunday, August 30, 2015
Tuesday, August 25, 2015
वीर पोस का त्यौहार
वीर पोस का त्यौहार ...माँ ने बताया की श्रावण पूर्णिमा के पहले वाले रविवार को भाई अपनी बहनों को राखी बांधने घर आने का न्यौता देने जाते हैं, बहने टीका लगाकर भैया की आरती उतारती है,खाना खिलाती है.....और भाई 5 पोस गेहूं उसके आँचल में देता है......
मैंने पहले माँ और मामा को देखा फिर माँ से सीखा ......
और भैया के साथ मिठाई भी खाई .....
मैंने पहले माँ और मामा को देखा फिर माँ से सीखा ......
और भैया के साथ मिठाई भी खाई .....
Thursday, August 20, 2015
ओए! टिंगू ..यार बहुत याद आती है तू ...
तेरा हँसना,तेरा रोना
वो पेट पर बैठकर गाना गाना
क्या-क्या गिनाउँ
क्या-क्या बताउँ
वो पेट पर बैठकर गाना गाना
क्या-क्या गिनाउँ
क्या-क्या बताउँ
तेरी हर बात के साथ बहुत याद आती है तू
चूँ-चूँ और गाय की बोली में बतियाना
नन्ना से नानीईईई कहकर बुलाना
जिद्दी कि बालकनी में ही
खाना खिलाउँ
नन्ना से नानीईईई कहकर बुलाना
जिद्दी कि बालकनी में ही
खाना खिलाउँ
तेरी हर बात के साथ बहुत याद आती है तू
मम्मा के जैसे ही तैयार होना
पापा के आते ही गोदी चढ़ जाना
ऊँगली छोड़ दौडे़ तू
जब मैं घुमाउँ
तेरी हर बात के साथ बहुत याद आती है तू
Tuesday, August 18, 2015
Sunday, August 2, 2015
Saturday, August 1, 2015
मैं वही ...अनन्तकाल तक..
...
माखन चाहे बदल जाए ....
मुख लपटायो वाला भाव नहीं बदल सकता ....


मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
लपट झपट निपटायो
तोको कबी न खाने देहौं
तू भी सदा पिघलायो ....
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
तोरी ममता का कहूँ मैया
तू अपनो खानो भुलायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
पापा ने जब गप्पू पुकारो
फट से वाके देखन लागो
अरू पापा भी मुसकायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो.....
माखन चाहे बदल जाए ....
मुख लपटायो वाला भाव नहीं बदल सकता ....


मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
लपट झपट निपटायो
तोको कबी न खाने देहौं
तू भी सदा पिघलायो ....
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
तोरी ममता का कहूँ मैया
तू अपनो खानो भुलायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
पापा ने जब गप्पू पुकारो
फट से वाके देखन लागो
अरू पापा भी मुसकायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो.....
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