मेरे बड़े --

Thursday, December 4, 2014

कम्बल की पोटली

पापा मेरे मस्त कलंदर
करके मुझको कम्बल के अंदर

जोर-जोर से मुझे हँसाते
ठंड को मुझसे दूर भगाते
 
लगा ठहाका हिला के अम्बर
हँसती खूब कम्बल के अंदर

ठंड को जब हम यूं डराते
हँसी के पल ये कैद हो जाते....
-मायरा

1 comment:

  1. Thand se bach gyi, kisi ki najar na lage us se bhi bachbach Mayra

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बस! आपका आशीष बना रहे ...