कल एक नाटक देखने का मौका मिला ,देखने तो पापा ,बुआ और नानी जाने वाले थे पर अचानक से पापा और नानी ने सोचा मैं और माँ अकेले रह जाएंगे तो फटाफट मुझे नानी ने माँ के तैयार होने से पहले रेडी कर लिया और मैं भी साथ हो ली......
नाटक था चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में...."कमांडर इन चीफ".... सबसे छोटी दर्शक थी मैं...
बहुत मजे से देखा ...बस आख़री दस मिनट के लिए नानी को बाहर निकल के आना पड़ा.....
मैं गुड गर्ल हूँ न!.....
वहाँ एक बात बहुत अच्छी हुई कि मेरे फेसबुक फैन्स... मुझे देखते ही बोले-मायरा है न!....हैलो.!!!!
फिर रात को पापा का बर्थडे भी मनाया....15 मिनट में फास्ट केक बनाकर माँ ने सरप्राईज़ दिया.....
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बस! आपका आशीष बना रहे ...