मेरे बड़े --

Wednesday, September 7, 2016

मेरी पहली शिक्षक

माँ मुझे सिखाती है
डांटती है
मनाती है
समझाती है
लिखवाती है मुझसे
मैं रोती हूँ
चुप हो जाती हूँ
सीखती हूँ
समझ जाती हूँ
और
थक जाती हूँ
कहती हूँ-बस!


7 comments:

  1. मायरा ... क्या अदा क्या जलवे तेरे :)

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  2. हर बच्चे की पहली शिक्षक!! और मायारा की तन्मयता के क्या कहने!!

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  3. बहूत खूब नायरा! अपनी नानी जी की तरह गुणवान बनो।

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नीरजा भनोट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. मायरा,तुमने तो हमें भी याद दिला दीं -नानी की बेटी हमारी पहली शिक्षक थीं.

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बस! आपका आशीष बना रहे ...