माँ मुझे सिखाती है डांटती है मनाती है समझाती है लिखवाती है मुझसे मैं रोती हूँ चुप हो जाती हूँ सीखती हूँ समझ जाती हूँ और थक जाती हूँ कहती हूँ-बस!
ै ै
मायरा ... क्या अदा क्या जलवे तेरे :)
वाह
हर बच्चे की पहली शिक्षक!! और मायारा की तन्मयता के क्या कहने!!
बहूत खूब नायरा! अपनी नानी जी की तरह गुणवान बनो।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नीरजा भनोट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
मायरा,तुमने तो हमें भी याद दिला दीं -नानी की बेटी हमारी पहली शिक्षक थीं.
बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |https://www.facebook.com/MadanMohanSaxenahttp://madan-saxena.blogspot.in/http://mmsaxena.blogspot.in/http://madanmohansaxena.blogspot.in/http://mmsaxena69.blogspot.in/
बस! आपका आशीष बना रहे ...
मायरा ... क्या अदा क्या जलवे तेरे :)
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteहर बच्चे की पहली शिक्षक!! और मायारा की तन्मयता के क्या कहने!!
ReplyDeleteबहूत खूब नायरा! अपनी नानी जी की तरह गुणवान बनो।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नीरजा भनोट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteमायरा,तुमने तो हमें भी याद दिला दीं -नानी की बेटी हमारी पहली शिक्षक थीं.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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