मेरी यानि आपकी मायरा की पहचान है- दोनों पैरों में काला धागा .. :-) देखो ज़रा कितने मजे किये मैनें ..
ये हुई एंट्री -
ये उतरी पानी में -
अब ज़रा मुंह धो लूँ -
लगी ठंडी -- निकलो बाहर -
चलूँ फिर से अंदर --
ना ना ना। ..मत निकालो दीदी। .. :-)
ये क्या? .... बाहर क्यूँ निकाल दिया
फिर से भाग लूँ। ..उस तरफ से जा सकती हूँ ..
ओह ! ये क्या। ..पकड़ में आ गई उफ़!
ये हुई एंट्री -
ये उतरी पानी में -
और ये थोड़ी देर बाद में -
अब ज़रा मुंह धो लूँ -
लगी ठंडी -- निकलो बाहर -
चलूँ फिर से अंदर --
ये क्या? .... बाहर क्यूँ निकाल दिया
फिर से भाग लूँ। ..उस तरफ से जा सकती हूँ ..
ओह ! ये क्या। ..पकड़ में आ गई उफ़!
जल क्रीडा में मगन मायरा...बोले तो, जल परी!
ReplyDeleteमायरा - तुम नानी की शायरी हो
ReplyDeleteमनमोहक।
ReplyDeleteमनमोहक।
ReplyDeleteबढ़िया ...छुटकू भी पानी से निकलना नहीं चाहता नहाने कभी भी तैयार रहता है .
ReplyDeleteबढ़िया ...छुटकू भी पानी से निकलना नहीं चाहता नहाने कभी भी तैयार रहता है .
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