...
माखन चाहे बदल जाए ....
मुख लपटायो वाला भाव नहीं बदल सकता ....
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
लपट झपट निपटायो
तोको कबी न खाने देहौं
तू भी सदा पिघलायो ....
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
तोरी ममता का कहूँ मैया
तू अपनो खानो भुलायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
पापा ने जब गप्पू पुकारो
फट से वाके देखन लागो
अरू पापा भी मुसकायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो.....
माखन चाहे बदल जाए ....
मुख लपटायो वाला भाव नहीं बदल सकता ....
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
लपट झपट निपटायो
तोको कबी न खाने देहौं
तू भी सदा पिघलायो ....
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
तोरी ममता का कहूँ मैया
तू अपनो खानो भुलायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो
पापा ने जब गप्पू पुकारो
फट से वाके देखन लागो
अरू पापा भी मुसकायो
मैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो.....
वाह बहूत खूब, क्या बात है |
ReplyDeleteमैया मोरी मैं जब कुल्फी खायो.....
कृष्ण कन्हैया सब मुरली बजायो ......... रे मैया मोरी मै नहीं........
धन्यवाद ...
Deleteआभार
ReplyDeleteक्या बात है |
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